हिमाचल प्रदेश राजीव गांधी प्राकृतिक खेती स्टार्ट-अप योजना
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स्वरोजगार को बढ़ावा देने हेतु हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा राजीव गाँधी प्राकृतिक खेती स्टार्ट-अप योजना की शुरुआत की है, जिसके अंतर्गत लाभार्थी को निम्न लाभ प्राप्त होंगे: -
प्राकृतिक खेती करने वाले किसानो का अनाज न्यूनतम समर्थन मूल्य पर ख़रीदा जाएगा।
इसके तहत प्रत्येक परिवार से अधिकतम 20 क्विंटल अनाज ख़रीदा जाएगा।
प्राकृतिक रूप से उगाये गए गेहूं व मक्की को क्रमशः 40 रूपए व 30 रूपए प्रति क्विंटल एमएसपी (जो की देशभर में सबसे अधिक है) पर ख़रीदा जाएगा।
प्रत्येक पंचायत से 10 किसान व पुरे राज्य में लगभग 36000 किसान इस योजना से लाभान्वित होंगे।
योजना के आवेदन ऑनलाइन व ऑफलाइन माध्यम से किया जा सकेगा, जिसकी जानकारी जल्द ही जारी की जाएगी।
योजना के बारे मे
साल 2023-24 में हिमाचल प्रदेश में गेहू का उत्पादन करीब 642.24 हजार मीट्रिक टन हुआ था।
जिसमे से केवल 37 हजार टन का उत्पादन प्राकृतिक खेती के द्वारा हुआ व अन्य का उत्पादन यूरिया युक्त खाद से हुआ।
यूरिया को अधिक मात्रा में इस्तेमाल करने से अनाज से मिलने वाले जरूर पौषण और उसकी गुणवत्ता में काफी कमी आ जाती है।
वही प्राकृतिक रूप से हुई अनाज का उत्पादन और गुणवत्ता यूरिया युक्त हुई खेती की तुलना में काफी बेहतर देखा गया है।
इसको मद्देनजर रखते हुए राज्य में हो रही जहर युक्त खेती को खत्म करने हेतु व राज्य के किसानो को प्राकृतिक खेती हेतु प्रोत्साहित करने हेतु एक नई योजना की घोषणा की है।
योजना का नाम है राजीव गांधी प्राकृतिक खेती स्टार्ट-अप योजना।
इस योजना की घोषणा हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं वित्त मंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू द्वारा साल 2024-25 का बजट प्रस्तुत करते हुए की।
योजना का मुख्य उद्देश्य प्राकृतिक खेती के द्वारा स्वरोजगार को बढ़ावा देना व किसानो की आय को बढ़ाना है।
योजना अनुरूप प्राकृतिक खेती करने वाले किसानो को एक सुरक्षा चक्र प्रदान होगा व साथ ही ग्रामीण क्षेत्र में युवाओ को कृषि क्षेत्र में स्वरोजगार के लिए प्रेरित किया जाएगा।
राजीव गाँधी प्राकृतिक खेती स्टार्ट-अप योजना को चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा।
जिसके प्रथम चरण में प्रत्येक पंचायत से कुल 10 किसानो को जहर मुक्त खेती के लिए चयनित किया जाएगा।
इसके फलस्वरूप राज्य में ऐसे कुल 36000 किसानो को प्राकृतिक खेती हेतु प्रथम चरण में जोड़ा जाएगा।
योजना का लाभ राज्य के स्थायी निवासी उठा सकते है, लेकिन प्राथमिकता पहले से खेती कर रहे किसान व राज्य के ऐसे युवा जो बेरोजगार है को दी जाएगी।
योजना से जुड़ने वाले किसान द्वारा गेहू और मक्की की खेती में यूरिया 12-32-16 का इस्तेमाल न करके गोबर की खाद का इस्तेमाल किया जाएगा।
जो किसान योजना के दर्शाये गए नियमो का पालन करते है उनसे राज्य सरकार प्रति परिवार अधिकतम 20 क्विंटल अनाज न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदेगी।
वही राज्य के बेरोजगार युवा द्वारा योजना के तहत प्राकृतिक रूप से उगाये गए गेहु व मक्की को सरकार 40 रूपए व 30 रूपए प्रति किलोग्राम के भाव से खरीदेगी, जो की देश भर में दी जाने एमएसपी में सबसे अधिक होगी।
सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार प्रदेश भर में अभी तक प्राकृतिक तकनीक से 37 हजार मीट्रिक टन से अधिक गेहू का उत्पादन किया जा रहा है।
योजना के माध्यम से सरकार द्वारा करीब 15 हजार एकड़ भूमि को प्राकृतिक खेती भूमि के रूप में प्रमाणित किया जाएगा।
योजना को सफल बनाने हेतु सरकार ने 680 करोड़ रूपए योजन के लिए प्रस्तावित किये है।
वही योजना के क्रियान्वय हेतु 10 नए किसान उत्पादक संगठन गठित किये जाएंगे, जिसके लिए सरकार अलग से 50 करोड़ व्यय करेगी।
योजना का लाभ लेने हेतु आवेदन प्रक्रिया व अन्य दिशानिर्देश सरकार द्वारा जल्द ही जारी किये जाएंगे।
योजना के अंतर्गत मिलने वाले लाभ
स्वरोजगार को बढ़ावा देने हेतु हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा राजीव गाँधी प्राकृतिक खेती स्टार्ट-अप योजना की शुरुआत की है, जिसके अंतर्गत लाभार्थी को निम्न लाभ प्राप्त होंगे: -
यूरिया खाद के बजाये गोबर का इस्तेमाल करने वाले किसानो का अनाज न्यूनतम समर्थन मूल्य पर ख़रीदा जाएगा।
इसके तहत प्रत्येक परिवार से अधिकतम 20 क्विंटल अनाज ख़रीदा जाएगा।
प्राकृतिक रूप से उगाये गए गेहूं व मक्की को क्रमशः 40 रूपए व 30 रूपए प्रति क्विंटल एमएसपी (जो की देशभर में सबसे अधिक है) पर ख़रीदा जाएगा।
पहले से खेती कर रहे प्रत्येक पंचायत से 10 किसान व पुरे राज्य में लगभग 36000 किसान इस योजना से लाभान्वित होंगे।
पात्रता
ऐसे लाभार्थी राजीव गांधी प्राकृतिक खेती स्टार्ट-अप योजना का लाभ ले पाएंगे, जो योजना के अंतर्गत जारी निम्न पात्रता को पूर्ण करेंगे: -
योजना का लाभ केवल राज्य के स्थायी निवासी को ही उपलब्ध होगा।
ऐसे किसान जो पहले से खेती से जुड़े है वह इस योजना का लाभ ले सकते है।
वही राज्य के युवा बेरोजगार भी इस योजना का लाभ ले सकते है।
लाभ लेने के लिए आवश्यक दस्तावेज
राजीव गांधी प्राकृतिक खेती स्टार्ट-अप योजना का लाभ लेने हेतु आवेदक को निम्न दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे: -
राज्य का निवास प्रमाण पत्र (आधार कार्ड, वोटर कार्ड, इत्यादि)
किसान सम्बंधित दस्तावेज।
कृषि भूमि दस्तावेज।
पासपोर्ट साइज फोटो।
राशन कार्ड।
आवेदन की प्रक्रिया
राजीव गाँधी प्राकृतिक खेती स्टार्ट-अप योजना की घोषणा राज्य सरकार द्वारा अपने 2024-25 के बजट के दौरान की गई।
योजना को राजीव गाँधी स्टार्ट अप योजना के तीसरे चरण के रूप मे लागु किया जा रहा है।
प्राकृतिक खेती स्टार्ट अप योजना का लाभ राज्य में पहले से खेती से जुड़े किसान या फिर राज्य के युवा बेरोजगार ले सकते है।
जिसके लिए आवेदक निर्देशानुसार ऑनलाइन या ऑफलाइन माध्यम से आवेदन कर सकते है।
आवेदन के दौरान लाभार्थी को अपना विवरण दर्ज करने के साथ ही अपने जरूरी दस्तावेज भी संलग्न करने होंगे।
आवेदन प्राप्त होने के बाद राज्य के कृषि विभाग द्वारा आवेदनों की सत्यता की जांच की जाएगी।
जाँच पूरी होने के बाद विभाग द्वारा पात्र लाभार्थी की एक सूची जारी की जाएगी, जिसकी सुचना लाभार्थी को जारी दिशानिर्देश अनुरूप दी जाएगी।
जारी की गई सूची में प्रदर्शित लाभार्थियों को योजना स्वरुप लाभ प्रदान किया जाएगा।
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