उत्तराखण्ड व्यापारी दुर्घटना बीमा योजना

द्वारा प्रस्तुत shahrukh on Thu, 02/05/2024 - 13:14
उत्तराखण्ड CM
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हाइलाइट
  • योजना के तहत नॉमिनी/उत्तराधिकारी को योजना द्वारा निम्नलिखित आर्थिक सहायता का लाभ मिलेगा :-
    • दुर्घटना से मृत्यु हो जाने की दशा में परिवार के दावेदार को 10 लाख रुपए की सहायता प्रदान की जायेगी।
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योजना का अवलोकन

योजना का नाम उत्तराखण्ड व्यापारी दुर्घटना बीमा योजना।
आरंभ होने की तिथि 2018.
लाभार्थी उत्तराखण्ड में पंजीकृत व्यापारी।
लाभ
  • दुर्घटना में मृत्यु / हत्या या पूर्ण स्थायी विकलांगता होने पर 10 लाख रुपए की सहायता।
बीमित धन राशि 10 लाख।
बीमा योजना की अवधि 1 साल।
क्रियान्वयन एजेंसी राज्य कर विभाग,उत्तराखण्ड।
आवेदन का तरीका ऑफलाइन।

योजन के बारे में

  • उत्तराखण्ड व्यापारी दुर्घटना बीमा योजना उत्तराखण्ड सरकार द्वारा व्यापारियों के हितों को ध्यान में रखते हुए शुरू की गयी है।
  • इस योजना की शरुआत वर्ष 2018 में राज्य कर विभाग द्वारा की गई है।
  • इस योजना का उद्देश्य व्यापारीयों को दुर्घटना के कारण होने वाली मृत्यु की स्थिति में आर्थिक सहायता प्रदान करना है।
  • इस योजना के तहत व्यापारी की दुर्घटना में मृत्यु होने पर परिवार को अधिकतम 10 लाख रुपए तक की आर्थिक सहायता मिल सकेगी।
  • इस योजना के तहत उत्तराखण्ड राज्य कर विभाग में पंजीकृत व्यापारी इस योजना का लाभ ले सकेंगे।
  • यह योजना उत्तराखण्ड राज्य कर विभाग द्वारा संचालित की जाएगी।
  • व्यापारी का बीमा, बीमा कम्पनी में राज्य कर विभाग द्वारा कराया जायेगा।
  • दावा प्रपत्र खण्डाधिकारी/ ज्वाइन्ट कमिशनर राज्य कर के कार्यालय पर उपलब्ध है।
  • बीमा की राशि प्राप्त करने के लिए परिवार सदस्य को दावा प्रपत्र राज्य कर विभाग के कार्यालय में जमा करना होगा।
  • बीमित व्यापारी की दुर्घटना होने पर उत्तराधिकारी ऑफलाइन दावा प्रपत्र सम्बन्धित ज्वाइन्ट कमिशनर, राज्य कर विभाग में जमा कर, इसके माध्यम से बीमा कंपनी में अपना दावा पेश करेंगे।
  • व्यापारियों के सम्बन्ध में प्रत्येक व्यापारी का बीमा नहीं कराया जायेगा बल्कि फर्म को अधिकार दिया गया है, की वो अपनी फर्म के एक व्यक्ति को नामित करे जिसकी दुर्घटना होने पर बीमा धनराशि देय होगी :-
    • काधिकार वाली फर्म में :- फर्म का मालिक
    • पार्टनरशिप फर्म में :- कोई भी साझीदार
    • कंपनी की दशा में :- मुख्य कार्यवाही अधिकारी (CEO)
    • संयुक्त हिन्दु परिवार :- संयुक्त हिन्दु परिवार का कर्ता
    • उचित आवेदन करने के एक माह के अंदर बीमित राशि का भुगतान बीमा कंपनी को करना होगा।
  • यदि कोई व्यक्ति एक से ज्यादा फर्म में बीमित व्यक्ति के रूप में है, तो भुगतान केवल एक ही प्रकरण मानते हुए किया जायेगा, न की फर्म की संख्या के आधार पर।
  • बीमा कम्पनी द्वारा दावा अस्वीकृत किये जाने पर, कम्पनी दावे के बिन्दुओ का पूरा उल्लेख करते हुए विस्तृत सूचना कमिश्नर ,राज्य कर विभाग को 15 दिनों में अनिवार्य रूप से भेजेगी।
  • यदि बीमा कम्पनी दावे के 3 माह तक बिना कोई कारण बताये, भुगतान नहीं करती, तो ऐसी दशा में बीमा कंपनी को दंड स्वरुप 10 % ब्याज का भुगतान करना होगा।
  • लाभार्थी को उचित माध्यम से लाभ प्राप्त कराया जायेगा अथवा सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में बीमा धनराशि का भुगतान किया जायेगा।

योजना के तहत लाभ

  • योजना के तहत नॉमिनी/उत्तराधिकारी को योजना द्वारा निम्नलिखित आर्थिक सहायता का लाभ मिलेगा :-
    • दुर्घटना से मृत्यु हो जाने की दशा में परिवार के दावेदार को 10 लाख रुपए की सहायता प्रदान की जायेगी।

योजना का लाभ कौन से व्यापारी ले सकेंगे

  • राज्य कर विभाग में जी.एस.टी में पंजीकृत समस्त व्यापारी इस योजना का लाभ ले सकते है।
  • व्यक्तिगत स्वामित्व वाली फर्मो में फर्म के प्रोप्राइटर को बीमा धारक माना जायेगा।
  • संयुक्त हिन्दू परिवार के फर्म मामले में संयुक्त हिन्दू परिवार का कर्ता बीमा धारक माना जायेगा।
  • कम्पनी के मामले में उसके मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO)को बीमा धारक माना जायेगा।
  • साझीदारी फर्मो के मामले में किसी एक साझीदार को बीमा धारक माना जायेगा।

पात्रताये

  • व्यापारी उत्तराखण्ड का स्थायी निवासी होना चाहिए।
  • व्यापारी के पास पहचान प्रमाण पत्र एवं पैन कार्ड होना चाहिए।
  • व्यापारी की मृत्यु प्राकृतिक नहीं होनी चाहिए।
  • व्यापारी दुर्घटना के समय उत्तराखण्ड राज्य कर विभाग में जी.एस.टी में पंजीकृत होना चाहिए।

योजना में आवेदन कैसे करे

  • उत्तराखण्ड व्यापारी दुर्घटना बीमा योजना में आवेदक को कहीं भी आवेदन करने की आवश्यकता नहीं है।
  • राज्य कर विभाग में जी.एस.टी में पंजीकृत सभी व्यापारी इस योजना के अंतर्गत पत्र माने जायेंगे।
  • पंजीकृत व्यापारी की मृत्यु होने की दशा में केवल व्यापारी के उत्तराधिकारी को बीमा कंपनी में दावा करना होगा।

दावा कैसे करें

ऑफलाइन आवेदन
  • बीमित व्यापारी की दुर्घटना होने पर व्यापारी / उत्तराधिकारी।/ लाभार्थी, ऑफलाइन दावा प्रपत्र सम्बन्धित ज्वाइन्ट कमिशनर, राज्य कर विभाग में जमा कर, इसके माध्यम से बीमा कंपनी में अपना दावा पेश करेंगे।
  • दावा प्रपत्र खण्डाधिकारी/ ज्वाइन्ट कमिशनर राज्य कर के कार्यालय पर उपलब्ध है।
  • दावेदार दावा प्रपत्र को पूरा भरकर, हस्ताक्षरित कर और साथ में जरुरी दस्तावेज़ के साथ राज्य कर विभाग में जमा करायेंगे।
  • दावे की गहनता से जांच कर बीमा कंपनी को क्लेम की पूर्ति के लिए भेज दिया जायेगा।
  • योजना के तहत दावा 90 दिन के भीतर प्रस्तुत करना अनिवार्य है।
  • बीमा कंपनी द्वारा दावे की जाँच कर उत्तराधिकारी के खाते में क्लेम की राशि ट्रांसफर कर दी जाएगी।

दावे की प्रक्रिया

  • पंजीकृत व्यापारी/ दावेदार का जमा किया गया फॉर्म सबसे पहले सहायक आयुक्त के पास भेजा जायेगा।
  • सहायक आयुक्त आवेदन सही पाने पर आगे संयुक्त कमिश्नर को सबमिट कर देंगे। फॉर्म मान्य न होने पर अस्वीकार कर दिया जायेगा या पूरा विवरण न होने पर दुबारा क्वेरी के लिए व्यापारी के पास भेजा जायेगा।
  • संयुक्त कमिश्नर फॉर्म की जाँच कर, विवरण को सही पाने अपर आयुक्त को भेजेंगे।
  • फॉर्म का पूर्ण विवरण न होने पर दुबारा क्वेरी के लिए संयुक्त कमिश्नर के पास भेजा जायेगा।
  • अपर आयुक्त द्वारा जाँच के बाद उचित होने पर आवेदन को हेड ऑफिस भेजा जायेगा या उचित न हों पर वापस संयुक्त आयुक्त को भेजा जायेगा।
  • हेड ऑफिस आवेदन सही होने पर उसे पेमेंट के लिए संयुक्त आयुक्त को भेजेंगे या विवरण के लिए वापस हेड ऑफिस पहुंचेंगे।
  • संयुक्त आयुक्त फॉर्म को DDO (आहरण एवं वितरण अधिकारी) के पास भेजेंगे, जो सही निकलने पर व्यापारी को बीमाराशि प्रदान करेंगे या क्वेरी के लिए वापस संयुक्त आयुक्त को भेजेंगे।
  • DDO (आहरण एवं वितरण अधिकारी) लेनदेन का ब्यौरा भी रखेंगे।
  • बीमा योजना अवधि की समाप्ति के छ: माह के अन्दर दावा करने पर बीमा कम्पनी को दावे का भुगतान करना होगा।
  • छ: माह के बाद किये दावे पर कमिश्नर ,वाणिज्य कर, उत्तर प्रदेश का निर्णय मान्य होगा।

दावे के लिए जरुरी दस्तावेज/ लाभ लेने के लिए आवशयक दस्तावेज

  • दावेदार द्वारा क्लेम फॉर्म पूर्ण रूप से भरा हुआ और हस्ताक्षरित।
  • दावाकर्ता का प्रमाणित फोटो (छ: महीने से पुरानी ना  हो )।
  • मृत्यु होने पर बीमित व्यापारी के मृत्यु प्रमाण-पत्र की सत्यापित प्रति।
  • मृत्यु होने पर बीमित व्यापारी के पोस्टमार्टम की सत्यापित प्रति।
  • दुर्घटना की रिपोर्ट/एफ.आई.आर की सत्यापित प्रति।
  • बीमित व्यापारी का वाणिज्य कर पंजीयन प्रमाण-पत्र की सत्यापित प्रति।
  • व्यापारी / दावेदार/उत्तराधिकारी के राष्ट्रीयकृत बैंक खाता संख्या एवं IFSC कोड पूर्ण विवरण सहित।
  • व्यापारी / दावेदार/उत्तराधिकारी का पहचान पत्र एवं पैन कार्ड की प्रति।

महत्वपूर्ण लिंक

संपर्क करने का विवरण

  • उत्तराखण्ड राज्य कर विभाग हेल्पलाइन नंबर :- 18002742277.
  • उत्तराखण्ड राज्य कर विभाग हेल्पडेस्क ईमेल :- gsthelpdeskuk@gmail.com.
  • उत्तराखण्ड राज्य कर विभाग,
    मसूरी बाईपास रोड, नथनपुर,
    देहरादून, उत्तराखण्ड।

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सिर्फ व्यापारी जिसके नाम फर्म है वही पात्र होगा या उसके परिवार के लोग भी ????

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