Mukhyamantri Krishak Durghatna Kalyan Yojana

Submitted by shahrukh on Thu, 23/06/2022 - 17:45
Uttar Pradesh CM
Highlights

मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना कल्याण योजना के अंतर्गत मिलने वाले लाभ :-

  • मृत्यु या पूर्ण शारीरिक अक्षमता की स्थिति में 5 लाख रूपये।
  • दोनों हाथ अथवा दोनों पैर अथवा दोनों आँखों की क्षति हो जाने पर 5 लाख रूपये।
  • एक हाथ तथा एक पैर की क्षति हो जाने पर 5 लाख रूपये।
  • एक हाथ या एक पैर या एक आँख की क्षति हो जाने पर 2.5 लाख रूपये।
  • स्थायी दिव्यांगता 50 प्रतिशत से अधिक होने पर किन्तु 100 प्रतिशत से कम होने पर 2.5 लाख रूपये।
  • स्थायी दिव्यांगता 25 प्रतिशत से अधिक होने पर किन्तु 50 प्रतिशत से कम होने पर1 लाख 75 हज़ार रूपये।

 

Customer Care

राजस्व परिषद् ईमेल आई डी :- borlko@nic.in

योजना का अवलोकन
योजना का नाम मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना कल्याण योजना
आरंभ होने की तिथि 14 सितम्बर 2019
लाभ कृषक की दुर्घटनावश मृत्यु या दिव्यांगता हो जाने की दशा में 5,00,000/- रूपये तक की सहायता।
नोडल एजेंसी राजस्व परिषद्, उत्तर प्रदेश।
आवेदन का तरीका ऑफलाइन आवेदन पत्र द्वारा।

योजना के बारे में

  • मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना कल्याण योजना उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा संचालित एक योजना है।
  • यह योजना उत्तर प्रदेश के कृषको के लिए है।
  • इस योजना की शुरुवात 14 सितम्बर 2019 से हुई थी।
  • इस योजना के अंतर्गत उत्तर प्रदेश के उन कृषक को आर्थिक लाभ दिया जायेगा जिनकी दुर्घटनावश मृत्यु हो जाती है या जो दुर्घटना के कारण दिव्यांग हो जाते है।
  • इस योजना का लाभ राजस्व अभिलेखों में दर्ज़ खातेदार/ सहखातेदारों के अलावा पट्टे से प्राप्त भूमि या बटाई पर कृषि कार्य करने वाले व्यक्तियों/परिवारों को भी दिया जायेगा।
  • पट्टेदार के अंतर्गत सरकारी पट्टेदार, असामी पट्टेदार तथा निजी पट्टेदार सभी सम्मिलित है।
  • इस योजना के अंतर्गत केवल वो ही कृषक पात्र है जिसकी आयु उसकी मृत्यु या दिव्यांगता की तिथि को 18 से 70 वर्ष के बीच थी।
  • योजना के अंतर्गत अधिकतम 5 लाख रूपये तक की आर्थिक सहायता देय है।
  • कृषक की मृत्यु अथवा पूर्ण शारीरिक अक्षमता हो जाने पर 100 प्रतिशत यानि 5 लाख रूपये की आर्थिक सहायता दी जायगी।
  • दुर्घटना में दोनों हाथ अथवा दोनों पैर अथवा दोनों आँखों की क्षति हो जाने पर 5 लाख रूपये की आर्थिक सहायता दी जायगी।
  • योजना के अंतर्गत 1 हाथ तथा 1 पैर की क्षति होने पर भी 5 लाख रूपये की आर्थिक सहायता दी जायगी।
  • एक हाथ या एक पैर या एक आँख की क्षति हो जाने पर या जब स्थायी दिव्यांगता 50 प्रतिशत से अधिक हो पर 100 प्रतिशत से कम होने पर 2.5 लाख रूपये की आर्थिक सहायता दी जायगी।
  • स्थायी दिव्यांगता 25 प्रतिशत से अधिक होने पर लेकिन 50 प्रतिशत से काम होने पर 1 लाख 75 हज़ार की आर्थिक सहायता सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जायगी।

योजना के उद्देश्य

  • इस योजना का मुख्य उद्देश्य कृषि क्षेत्र में कृषको की दुर्घटनाओं के कारण होने वाली मृत्यु या दिव्यांग होने की दशा में आर्थिक सहायता प्रदान करना है।

पात्रताएं

  • कृषक उत्तर प्रदेश का स्थायी निवासी होना चाहिए।
  • उत्तर प्रदेश राजस्व अभिलेखों में अर्थात खाता खतौनी में खातेदार/सहखातेदार दर्ज़ होना चाहिए।
  • वो कृषक जिनकी आय का मुख्य स्रोत खातेदार/सहखातेदार के नाम दर्ज़ भूमि से होने वाली आय से है।
  • पट्टे से प्राप्त भूमि पर कृषि कार्य करने वाले कृषक।
  • वो कृषक जो बटाई पर कृषि कार्य करते हो।

योजना के लाभ

  • योजना के अंतर्गत किसी भी कृषक की दुर्घटना के कारण होने वाली मृत्यु या दिव्यांगता की दशा में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा अधिकतम रू० 5,00,000/- (पांच लाख रूपये) की आर्थिक सहायता दी जायगी।
  • दुर्घटना के कारण होने वाली मृत्यु या दिव्यांगता की स्थिति में तय देय धनराशि इस प्रकार है :-
    दुर्घटना के कारण मृत्यु/दिव्यांगता की स्थिति देय धनराशि
    मृत्यु या पूर्ण शारीरिक अक्षमता की स्थिति में 5,00,000/- रूपये।
    दोनों हाथ अथवा दोनों पैर अथवा दोनों आँखों की क्षति 5,00,000/- रूपये।
    एक हाथ तथा एक पैर की क्षति 5,00,000/- रूपये।
    एक हाथ या एक पैर या एक आँख की क्षति 2,50,000/- रूपये।
    स्थायी दिव्यांगता 50 प्रतिशत से अधिक होने पर किन्तु 100 प्रतिशत से कम होने पर 2,50,000/- रूपये।
    स्थायी दिव्यांगता 25 प्रतिशत से अधिक होने पर किन्तु 50 प्रतिशत से कम होने पर 1,25,000/- रूपये।

योजना के अंतर्गत मृत्यु या दिव्यांगता के कारण

निम्नलिखित कारणों से होने वाली मृत्यु या दिव्यांगता की दशा में ही आर्थिक सहायता देय होगी :-

  • आग लगने के कारण।
  • बाढ़ के कारण हुई मृत्यु या दिव्यांगता।
  • बिजली गिरने के कारण।
  • करेन्ट लगने के कारण।
  • सांप के काटने पर।
  • जीव-जन्तु, जानवर द्वारा काटने/मारने/ आक्रमण से।
  • समुन्द्र, नदी, तालाब, झील, कुँए, व पोखर आदि में डूबने के कारण।
  • आंधी तूफ़ान, वृक्ष से गिरने या दबने के कारण।
  • मकान के गिर जाने के कारण।
  • रेल/रोड/वायुयान/अन्य वाहन आदि से दुर्घटना के कारण।
  • भू-स्खलन के कारण।
  • भूकंप, गैस रिसाव, विस्फोट के कारण।
  • सीवर चैम्बर में गिरने के कारण।
  • या अन्य किसी भी कारण से मृत्यु या दिव्यांगता होने की दशा में।

आवश्यक दस्तावेज

योजना के अंतर्गत लाभ लेने हेतु कृषक या उसके विधिक वारिस/वारिसों द्वारा आवेदन पत्र के साथ निम्नलिखित दस्तावेज़ प्रस्तुत करने होंगे :-

  1. निम्नलिखित में से कोई कृषक होने का प्रमाण पत्र :-
    • खतौनी की प्रमाणित प्रति (भूमिधर होने की दशा में)।
    • रजिस्टर्ड निजी पट्टेदार हेतु पट्टे की प्रमाणित प्रति (कृषक के पट्टेदार होने की दशा में)।
    • बटाईदार हेतु प्रस्तर-3(ख) के अनुसार कोई एक प्रमाण पत्र (कृषक के बटाईदार होने की दशा में)।
  2. आयु प्रमाण-पत्र - निम्नलिखित दस्तावेजों में से कोई एक दस्तावेज़ आयु प्रमाण पत्र के रूप में मान्य होगा :-
    • परिवार रजिस्टर की प्रति।
    • हाईस्कूल प्रमाण पत्र।
    • पासपोर्ट।
    • वोटर आई०डी० कार्ड।
    • ड्राइविंग लाइसेंस।
    • आधार कार्ड।
    • पैन कार्ड।
  3. निवास प्रमाण पत्र- योजना का लाभ लेने हेतु उत्तर प्रदेश के निवासियों को निवास प्रमाण पत्र हेतु निम्नलिखित में से कोई एक दस्तावेज़ प्रस्तुत करना होगा :-
    • उप जिलाधिकारी कार्यालय द्वारा जारी निवास प्रमाण पत्र।
    • पासपोर्ट।
    • ड्राइविंग लाइसेंस।
    • आधार कार्ड।
    • वोटर आई०डी० कार्ड।
    • राशन कार्ड।
  4. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट।
  5. पंचनामा (जहाँ पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट संभव नहीं)।
  6. मृत्यु प्रमाण पत्र।
  7. दिव्यांगता होने की दशा में मुख्य चिकित्साधिकारी द्वारा जारी प्रमाण प्रमाण पत्र।
  8. उत्तराधिकारी प्रमाण पत्र (केवल विवादित उत्तराधिकारी होने की दशा में।
  9. बैंक पासबुक की छायाप्रति।
    बैंक पासबुक में निम्नलिखित विवरण आवश्यक रूप से होना अनिवार्य है :-
    • बैंक का नाम।
    • बैंक शाखा का नाम।
    • खाता नम्बर।
    • IFSC नम्बर।
  10. मोबाइल नम्बर।
  11. आधार नम्बर।

आवेदन करने की प्रक्रिया

  • सर्वप्रथम आवेदक को मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना कल्याण योजना का आवेदन पत्र डाउनलोड करना होगा।
  • उसके पश्चात निम्नलिखित विवरण आवेदन पत्र में भरना होगा :-
    1. मृतक/दिव्यांग कृषक का नाम।
    2. पिता/पति का नाम।
    3. मृतक/दिव्यांग कृषक की जन्मतिथि।
    4. मृतक/दिव्यांग कृषि का पता :-
      • ग्राम/मोहल्ले का नाम।
      • थाना।
      • तहसील।
      • जनपद।
    5. दुर्घटना का दिनांक।
    6. दुर्घटना का कारण।
    7. आवेदक/आवेदकों का नाम-(यदि मृत कृषक के एक से अधिक विधिक वारिस है, तो सभी आवेदकों(वारिसों) के नाम तथाविवरण निम्नवत भरे जाए)
      • नाम।
      • पिता/पति का नाम।
      • मृतक से सम्बन्ध।
      • पता :- ग्राम/मोहल्ला।
      • थाना।
      • तहसील।
      • जनपद।
      • मोबाइल नम्बर।
      • आधार नम्बर।
      • बैंक एवं शाखा का नाम।
      • बैंक खाता संख्या।
      • बैंक का आई०एफ०एस०सी० नम्बर।
    8. आवेदन पत्र के साथ मृतक/दिव्यांग के सम्बन्ध में वांछित निम्न साक्ष्य संलग्न किये जायँगे :-
      1. (अ)खतौनी की प्रति।
        अथवा
        (ब)रजिस्टर्ड निजी पट्टेदार हेतु रजिस्टर्ड पट्टे की प्रमाणित प्रति।
        अथवा
        (स)बटाईदार हेतु निम्नलिखित में से कोई १ प्रमाण पत्र।
        भू-स्वामी या उनके वारिस/विधिक वारिस से इस आशय का प्रमाण पत्र लिया जायेगा की दुर्घटना में मृत अथवा दिव्यांग होने वाले व्यक्ति द्वारा फसली वर्ष में उनकी ज़मीन पर बटाई पर कृषि कार्य किया गया है।
        अथवा
        भू-स्वामी उपलब्ध न होने पर ग्राम प्रधान एवं क्षेत्रीय लेखपाल द्वारा अपने हस्ताक्षर, मुहर से दिया गया इस आशय का प्रमाण पत्र की उक्त प्रभावित व्यक्ति भूमिधर व्यक्ति की भूमि पर बटाईदार था।
      2. मृतक/दिव्यांग की आयु के सम्बन्ध में संलग्न प्रमाण-पत्र का नाम
        निम्न में से कोई एक आयु सम्बन्धी प्रमाण पत्र संलग्न करना होगा :-
        • हाईस्कूल प्रमाण-पत्र।
        • परिवार रजिस्टर की प्रति।
        • वोटर आई०डी० कार्ड।
        • पासपोर्ट।
        • ड्राइविंग लाइसेंस।
        • आधार कार्ड।
        • पैन कार्ड।
      3. मृतक/दिव्यांग की आयु के सम्बन्ध में संलग्न प्रमाण पत्र का नाम
        निवास हेतु निम्नलिखित में से कोई एक प्रमाण पत्र संलग्न करना होगा:-
        • पासपोर्ट।
        • ड्राइविंग लाइसेंस।
        • राशन कार्ड।
        • वोटर आई०डी० कार्ड।
        • आधार कार्ड।
      4. उपजिलाधिकारी कार्यालय द्वारा जारी निवास प्रमाण पत्र।
      5. उत्तराधिकारी प्रमाण पत्र (केवल विवादित उत्तराधिकार की दशा में)
      6. परिवार रजिस्टर की प्रमाणित प्रति।
      7. पोस्टमोर्टेम रिपोर्ट/पंचनामा (अगर पोस्टमॉर्टेम रिपोर्ट संभव नहीं तो)
      8. मृत्यु/दिव्यांगता का प्रमाण पत्र (जो संलग्न करे उसका नाम)
      9. मौखिक पट्टेदार/बटाईदार के प्रमाणन का प्रमाण पत्र।
    9. दो गवाहों के नाम, पता व उनके हस्ताक्षर।
  • संपूर्ण आवेदन भरने व आवश्यक दस्तावेज़ संलग्न करने के पश्चात उक्त आवेदन पत्र सम्बंधित तहसील में जमा किया जायेगा।
  • आवेदन पत्र दो प्रतियों (मूल प्रति एवं एक छाया प्रति) में जमा होगा।
  • आवेदन पत्र जमा हो जाने के पश्चात आवेदक को रसीद दी जायगी।
  • 2 सप्ताह के भीतर सम्बंधित तहसीलदार द्वारा आवेदन व आवेदन के साथ संलग्न समस्त दस्तावेज़ों की जांच कर आवेदन पत्रावली उपजिलाधिकारी को प्रेषित कर देगा।
  • उपजिलाधिकारी द्वारा भी अपने कार्यालय के किसी भी अधिकारी/कर्मचारी द्वारा उक्त आवेदन पत्र की क्रॉस चेक हेतु जांच कराई जायगी।
  • जांच कराने के उपरान्त आवेदन पत्र १ सप्ताह के भीतर जिलाधिकारी के पास निस्तारण हेतु भेज दिया जायगा।
  • जिलाधिकारी कार्यालय द्वारा आवेदन स्वीकृत हो जाने की दशा में कृषक/विधिक वारिस/वारिसों/के बैंक खातों में सहायता धनराशि ट्रांसफर कर दी जायगी।
  • आवेदन पत्र को अधिकतम 45 दिनों के भीतर निस्तारित किया जायेगा।

योजना के महत्वपूर्ण बिंदु

  • आवेदन पत्र सम्बंधित तहसील में 2 प्रतियों में जमा होगा जिसमे 1 प्रति मूल होगी व दूसरी उसकी छायाप्रति।
  • आवेदन पत्र कृषक की मृत्यु या दिव्यांग होने की तिथि से डेढ़ माह यानि 45 दिन के भीतर सम्बंधित तहसील कार्यालय में जमा कराना होगा।
  • जिलाधिकारी के पास ये अधिकार होगा की अपरिहार्य परिस्तिथि में आवेदन पत्र के प्रस्तुत करने की अवधि को 1 माह तक बढ़ा सके।
  • परन्तु किसी भी स्थिति में ढाई माह यानि 75 दिनों के पश्चात प्रस्तुत किये गए आवेदनों पर विचार नहीं किया जायगा।
  • 45 दिनों के भीतर प्रस्तुत आवेदन पत्र का निस्तारण कर सहायता धनराशि आवेदक के खाते में ट्रांसफर की जायगी।
  • कृषक के दिव्यांग हो जाने की दशा में जनपद के मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा जारी प्रमाण पत्र मान्य होगा।
  • मृत कृषक के एक से अधिक वारिस होने की दशा में उन सब के द्वारा संयुक्त रूप से आवेदन किया जायेगा।
  • यदि कोई कृषक मृत्यु या दिव्यांगता की तिथि को किसी अन्य योजना जैसे प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना एवं प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के अंतर्गत बीमित था और लाभ लेने का पात्र था तो ऐसी दशा में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सिर्फ अंतर की धनराशि प्रदान की जायगी।
  • जैसे राज्य आपदा मोचक निधि के तहत प्राकृतिक आपदा में हुई मृत्यु की दशा में सरकार द्वारा 4 लाख रूपये की धनराशि व 60 प्रतिशत से अधिक दिव्यांगता होने पर 2 लाख रूपये की धनराशि व 40 से 60 प्रतिशत की दिव्यांगता होने पर 59,100/- प्रति व्यक्ति की आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है।
  • तो कृषक की प्राकृतिक आपदा में मृत्यु होने की दशा में राज्य मोचक निधि से प्राप्त होने वाली धनराशि अथवा उसी प्रकार दिव्यांग होने की दशा में प्राप्त धनराशि को घटाते हुवे अंतर की धनराशि मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना कल्याण योजना के अंतर्गत दी जायगी।
  • सांप या अन्य विषैले जीव जंतु के काटने से कृषक की मृत्यु की दशा में पोस्टमॉर्टेम रिपोर्ट या स्थानीय प्राथमिक स्वास्थय केंद्र के चिकित्सक का प्रमाण पत्र ही मान्य होगा।
  • विसरा रिपोर्ट प्राप्त न होने की दशा में आवेदन पत्र को निरस्त नहीं किया जायेगा।
  • यदि कृषक की मृत्यु या दिव्यांगता आत्महत्या या आपराधिक कार्य करते समय होती है तो इस योजना के अंतर्गत कोई आर्थिक सहायता देय नहीं होगी।
  • कृषक का बटाईदार होने की दशा में भू-स्वामी से या भू-स्वामी के उपलब्ध न होने की दशा में ग्राम प्रधान एवं क्षेत्रीय लेखपाल से प्रमाणित प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना आवश्यक व अनिवार्य है।

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